पासपोर्ट की तस्वीर में आखिर मुस्कराना मना क्यों होता है, क्यों रहना चाहिए नेचुरल फेस जब भी आप पासपोर्ट बनवाने के लिए पासपोर्ट आफिस जाएंगे तो जब आपकी फोटो खिंचने का नंबर आएगा तो संबंधित शख्स आपको ये दिशा निर्देश जरूर देगा कि अपने चेहरे को बिल्कुल नेचुरल रखें. इसमें स्माइल करने की कोशिश नहीं करें.आखिर ऐसा क्यों है. पासपोर्ट पर आपकी मुस्कुराती हुई तस्वीरें क्यों मना हैं. तकरीबन पूरी दुनिया में अब पासपोर्ट बनवाते समय जब तस्वीरें खींची जाती हैं तो यही कहा जाता है.इसके लिए हर मुल्क ने अब कानून बना दिये हैं. वजह ये है कि पासपोर्ट पर फोटो क्लियर हो. बाल पीछे रहें. अलबत्ता अगर आपका नेचुरली स्माइल देता हुआ हो तो वो चल जाएगा. दरअसल कुछ सालों पहले तक फोटो में चश्मा पहनने और अपने हेयर स्टाइल से चेहरे को हल्का ढकने की आजादी थी. लेकिन अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में 26/11 हमले के बाद सब कुछ बदल गया. एयरपोर्ट पर इस्तेमाल होने वाली बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी ने पासपोर्ट और फोटो को पूरी तरह बदल कर रख दिया. कुछ देशों के पासपोर्ट्स में चिप लगी होती है. इसमें आपका पूरा डेटा होता है. फोटो देती है आपकी पूर
सोनिया गाँधी का पूरा नाम अन्टोनिया एड्विज अल्बीना मैनो है. इनका जन्म 9 दिसम्बर सन 1946 को इटली के लूसिआना शहर के कॉनट्रडा मैनी जिला/क्वाटर के वेनेटो में विसेन्ज़ा से 30 किमी दूर एक छोटे से गाँव में हुआ, जहाँ वे अपने परिवार के साथ रहती थीं. उनके परिवार का नाम “मैनो” है, उनका परिवार वहाँ कई पीढ़ियों से रह रहा है. इन्होंने अपनी युवास्था ओर्बस्सानो में व्यतीत की, इसके बाद टूरिन के पास एक शहर है, जहाँ एक पारंपरिक रोमन कैथोलिक परिवार में ये पली बढ़ी और वहीं के एक कैथौलिक स्कूल का वे हिस्सा बनी. इनके पिता स्तेफेनो मैनो, जोकि ओर्बस्सानो में ही एक छोटे से व्यापार के मालिक थे. इनके पिता स्तेफेनो ने द्वितीय विश्व युद्ध में पूर्वी मोर्चे पर, एडोल्फ हिटलर के साथ सोवियत सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी. उन्हें बेनिटो मुसोलिनी का एक वफादार समर्थक और इटली के राष्ट्रीय फासिस्ट पार्टी कहा जाता था. सन 1983 में इसके पिता की मृत्यु हो गई, उनकी माँ और दो बहनें अब भी ओर्बस्सानो में ही रह रहीं हैं. सन 1964 में सोनिया गाँधी, कैम्ब्रिज शहर में “बेल एजुकेशन ट्रस्ट के भाषा स्कूल” में अंग्रेजी का अध्ययन करने के लिए चल
मनुष्य के कान के तीन भाग होते हैं : • बाहरी कान पल्लव कहलाता है| यह परिवेश से ध्वनि को एकत्रित करता है तथा एकत्रित ध्वनि श्रवण नलिका से गुजरती है| • इसके बाद ध्वनि श्रवण नलिका के सिरे पर तक पहुँचती है जहाँ एक पतली झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटह या कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं| जब माध्यम में संपीडन कर्ण तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है तथा कर्ण को पटह अंदर की ओर दबाता है| इसी प्रकार विरलन के पहुँचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता है| इस प्रकार कर्ण पटह कंपन करता है| मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ (मुग्दरक निहाई तथा वलयक) इन कंपनों को कई गुना बढ़ा देती हैं| • आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत् संकेतों में परिवर्तित कर दिया जाता है जिन्हें श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है|
1. जल की अनुपस्थिति में जीव जीवित नहीं रह सकती। सभी जीवो में कोशिकाएं होती हैं और यह कोशिकाएं जीव द्रव्य से बनी होती है जिसमें लगभग 90 % जल होता है। 2. हमारे शरीर में पाया जाने वाला जल भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को घोलकर इन्हें शरीर के सभी अंगों तक पहुँचा देता है। 3. जल स्वेदन तथा वाष्पन की प्रक्रियाओं द्वारा मानव शरीर के ताप को नियंत्रित करता है। 4. जल हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थों (मल-मूत्र इत्यादि) के उत्सर्जन के लिए एक अच्छा माध्यम है। 5. नदियों और समुद्र में नावों और जलयानों के द्वारा यात्रियों और सामानों का एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवहन होता है। 6. हम पानी का अत्यधिक उपयोग पीने में, नहाने में, कपड़े धोने में और खाना पकाने इत्यादि में करते हैं। खाना पकाने और पीने का पानी कीटाणु-रहित तथा स्वच्छ होना चाहिए। 7. जल का उपयोग सामान्यतया औषधि के रूप में भी करते हैं। आइस-बैग सिरदर्द में आराम पहुँचाता है, जबकि पानी की मिट्टी का इस्तेमाल बुखार को कम करने में किया जाता है। 8. ऊंचाई से तेज गति से गिरते हुए जल में ऊर्जा होती है जिसका प्रयोग हम बिजली बनाने
अमेरिका के बहनों और भाइयों, आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है और मैं आपको दुनिया की प्राचीनतम संत परम्परा की तरफ से धन्यवाद देता हूं . मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जातियों, संप्रदायों के लाखों, करोड़ों हिन्दुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं. मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है. मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया. हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं. मुझे गर्व है कि मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और सभी देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी . मुझे गर्व है कि हमने अपने दिल में इसराइल की वो पवित्र यादें संजो रखी हैं जिनमें उनके धर्मस्थलों को रोमन हमलावरों ने तहस-नहस कर दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली . मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म स
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