बहुत कम लोग यह जानते हैं कि भगत सिंह ने जेल में रहते हुए चार किताबे लिखी थी। हालांकि, उनके द्वारा लिखी गयी सभी किताबें नष्ट हो गयी थी, पर जो उनकी याद के तौर पर बच गयी वह है उनकी डायरी। वह डायरी, जिसमें उन्होंने कविताएं लिखी, नोट्स बनाये और साथ ही कुछ बेहतरीन लेखकों की कुछ अच्छी पंक्तियाँ भी लिखीं। यह डायरी सितम्बर 1929 से मार्च 1931 के बीच लिखी गयी और उनकी मृत्यु के बाद उनके परिवार को सौंप दी गयी थी। एक बंदूकधारी क्रन्तिकारी की उनकी छवि के विपरीत उनकी डायरी उनके भीतर के कवी और लेखक को उजागर करती है। भगत सिंह की 404 पेज की जेल-डायरी विभिन्न प्रकार के विषयों पर लिखे गये अंश, नोट्स और उदाहरणों से भरी है, जो न केवल उनके गंभीर अध्ययन और बौद्धिक अंतर्दृष्टि को दर्शाती है, बल्कि उनकी सामाजिक और राजनीतिक चिंताओं को भी सामने लाती है। जेल में बिताये अपने समय के दौरान उनके द्वारा लिखे गये कुछ मूल विचार और कविताओं का एक अंश यहाँ प्रस्तुत है... “मैं एक आदमी हूँ और इसलिए जो भी बात मानवजाति को प्रभावित करे, वह मुझे चिंतित करती है।” “मैं इतना पागल हूँ कि जेल में भी आजा...